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आस्था ही नहीं… विज्ञानपूर्ण महापर्व छठ व्रत

चीनी बौद्धयात्री ह्वेनत्सांग के यात्रा-वृतांत में सूर्य मंदिर की चर्चा
भगवान् श्रीकृष्ण और जाम्बती के सुपुत्र साम्ब ने सूर्य का पहला मन्दिर सिन्ध (अब पाकिस्तान) में बनवाया था। तीसरी-चौथी सदी में इरान से मग (शाकद्वीपी) ब्राह्मणों ने आकर सूर्यापासना का काफी प्रचार- प्रसार किया। चन्द्रभागा (चिनाब) के तट पर मुल्तान (मूलस्थान) में स्थित सूर्य मन्दिर का विस्तृत उल्लेख चीनी बौद्धयात्री ह्वेनत्सांग ने अपने यात्र-वर्णन में किया है। वराहमिहिर ने सूर्य-मूर्ति के निर्माण की विधि अपनी पुस्तक ‘बृहत्संहिता’ में बतलाई है। हूण शासक मिहिरकुल ने भी सूर्य का मन्दिर बनवाया था। मुल्तान में इस मन्दिर का उल्लेख अल-बरुनी ने भी किया है और लिखा है कि यह सत्ययुग में बनी थी।

बीरबल के प्रभाव में अकबर सूर्य की उपासना करने लगा
अल बरूनी ने 1030 ई. में किताबे – हिन्द में सूर्योपासना का उल्लेख किया है। उसने सूर्य के विभिन्न नाम बताए हैं- आदित्य, सूर्य, भानु, अर्क, दिवाकर, रवि, विवत (विवस्वत्) और हेलि। इन नामों की व्युत्पत्ति भी बताई है- जैसे आदित्य को आदि शब्द से जोड़ कर उनको सृष्टि का प्रारम्भ माना है। कई ऐतिहासिक प्रमाण हैं जिससे सिद्ध होता है कि अकबर सूर्यापासक था। बदाऊनी लिखता है कि बीरबल के प्रभाव में अकबर सूर्य की उपासना करने लगा था। अकबर ने सूर्य की उपासना दिन में चार बार करने का आदेश जारी किया था। उसके अनुसार अकबर प्रतिदिन सूर्य के 1001 नाम का जप भी किया करता था।

बिहार के महापर्व छठ के 6 बड़े दर्शन जो दुनिया के लिए बड़ी सीख है 
1. जाति का भेद नहीं। छठ पर्व में जातीय श्रेष्ठता या जाति का कोई भेदभाव नहीं है। सभी
जाति के लोग छठ कर सकते हैं। कथित तौर पर उच्च और निम्न मानी जाने वाली जातियों के व्रती साथ-साथ और एक ही घाट पर छठ करते हैं।
2. धर्म का बंधन नहीं। इस पर्व में धार्मिक आधार पर भी कोई बंदिश नहीं है। कोई भी धर्मावलंबी समान, श्रद्धा और विश्वास के साथ अनुष्ठान कर सकते हैं। छठ घाटों पर भी उनके साथ कोई दुराव या भेदभाव नहीं किया जाता है।
3. लिंग का विभेद नहीं। छठी की बड़ी विशेषता यह है महिला-पुरुष का कोई विभेद नहीं है। दोनों समान रूप से व्रत व अनुष्ठान करते हैं। यहां तक कि महिलाओं की ही प्रधानता रहती है और पुरुष उनके सहयोग में तत्पर दिखते हैं।
4. कर्मकांड की बंदिश नहीं| चार दिनों तक चलनेवाले महापर्व में कर्मकांड की कोई जटिलता नहीं है। व्रतधारी अपनी श्रद्धा, निष्ठा एवं शुचिता से व्रत करते हैं। न मंत्र और न ही पुरोहितों की जरूरत। व्रती का अपने इष्टदेव से सीधा संवाद ।
5. ऊंच-नीच का फर्क नहीं। सामाजिक समता का ऐसा पर्व दुनिया में शायद ही कोई होगा। क्या अमीर, क्या गरीब, कोई भेदभाव कहीं दिखता ही नहीं है। सही मायने में मानवीय श्रेष्ठता और समरसता का दिग्दर्शन छठ के घाटों पर होता है।
6. आडंबर की जगह नहीं | सात्विकता,शुचिता, आस्था व समर्पण इस पर्व की आत्मा है। 
पूरे अनुष्ठान में बाह्य आडंबर की जगह नहीं है।चाहे किसी भी आर्थिक हैसियत का व्यक्ति हो, उनकी पूजा सामग्री व प्रसाद एक जैसे होते हैं।

आस्था ही नहीं… विज्ञान की कसौटी पर भी खरा है छठ व्रत

छठ एक धार्मिक आयोजन ही नहीं है, इसके सारे अनुष्ठान विज्ञान की कसौटी पर भी खरे उतरते हैं। लगता है वैज्ञानिक ढंग से व्रती की तमाम शारीरिक मानसिक जरूरतों को ध्यान में रखकर नियम व सामग्री तय किए गए हैं:-
• कैल्शियम तत्व छठ के प्रसाद में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। क्योंकि, उपवास के दौरान हमारा शरीर नेचुरल कैल्शियम का ज्यादा इस्तेमाल करता है। यह प्रसाद उसको पूरा करता है।
• सूर्य की किरणें विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत है। सुबह 10 बजे से पहले और शाम को 4 बजे के बाद (पराबैगनी किरणों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए) इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए ज्यादा उपयोगी होता है और दोनों अर्घ्य का समय भी यही है।
• डॉक्टरो का कहना हैं कि उपवास के बाद ज्यादा भारी भोजन ग्रहण करना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है। इसी के मद्देनजर छठ व्रती अदरक और गुड़ खाकर पारण करते हैं ताकि स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी न हो।

छठ की सामग्रियों में गुण ही गुण… स्वास्थ्यवर्द्धक-रोग से बचाने वाला

छठ महापर्व में जिन-जिन खाद्य वस्तुओं का इस्तेमाल होता है, वे सारी औषधीय गुणों वाली हैं। ये सामग्रियां प्रकृति प्रदत्त हैं।

हल्दी– रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और संक्रामक रोगों से बचाने वाली है। इसमें वात-कफ दोषों को कम करने के गुण।कोरोनाकाल में डॉक्टर भी दूध-हल्दी पीने को कहते हैं।
सिंघाड़ा – सिंघाड़ाइसमें पर्याप्त मात्रा में पोटैशियम, आयोडीन, जिंक, विटामिन बी और ई पाया जाता है। ये एंटी-बैक्टीरियल, एंटी- वायरल और एंटी-कैंसर गुणों से भी भरपूर होता है।
मूली – मूलीमें फाइटोकेमिकल व एनथोसाइनिन्स नामक तत्व पाए जाते हैं जो कैंसर के खतरे को कम करते हैं। ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने व मधुमेह में भी फायदेमंद है।
शरीफा– इसमें मौजूद विटामिन-ए त्वचा को स्वस्थ रखने, बी-6 अस्थमा और पौटेशियम-
मैग्निशियम ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखता है व हार्ट अटैक से बचाता है।
गागर– गागर विटामिन सी का अच्छा सोर्स है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर व मौसमी बीमारियों से दूर रखने में कारगर है। हार्ट को हेल्दी रखता है। आंख की रोशनी बढ़ाने में मददगार ।
सुथनी – सुथनी भूख को नियंत्रित व अल्सर ठीक करता है। जलन और सूजन के उपचार में कारगर है। एंटीऑक्सीडेंट बहुत अधिक मात्रा में जो बुढ़ापा दूर रखने में सक्षम।

खरना का विज्ञान
खरना : गुड़-गन्ने की खीर से एनर्जी मेंटेन चार दिवसीय छठ महापर्व में पहले दिन नहाय-खाय और दूसरे दिन खरना पूजा होती है। खरना पूजा के लिए व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखते हैं। शाम को चावल को गुड़ या गन्ने के रस में पका कर खीर बनाते हैं। नमक और चीनी का सेवन वर्जित होता है।
वैज्ञानिकताः खरना की रोटी, गुड़ की खीर और इसमें मिले मेवे… व्रतियों को अगले 36 से 40 घंटों तक एनर्जेटिक रखते हैं। गुड़-कैल्शियम, मैग्नेशियम, पोटैशियम, फॉसफोरस, आयरन, मैग्नीज, जिंक, सोडियम के साथ एनर्जी का सोर्स होता है। एक ग्राम गुड़ से 4 किलो कैलोरी एनर्जी मिलती है। दूध से प्रोटीन मिलता है। फल से फाइबर, मल्टीविटामिन्स और मिनरल्स मिलता है। इसके अलावा आटा में चोकर मिले रहने के कारण इससे बनी रोटी को खाने से लंबे समय तक हमारे शरीर में एनर्जी रिलीज होती है।

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Astologer cum Vastu vid Harshraj Solanki
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