LAGHU KATHA(लघु कथाएं) कथा पिछले जनम की 109 views0 Share लगभग दस-बारह साल बाद अपने बचपन के शहर लखनऊ आया। शाम को पुराने मित्र प्रो. सुबोध के यहां घंटी बजाने पर -20 22 साल की नवयुवती ने दरवाजा खोला। मीना ने बताया, पापा घर में नहीं हैं। मैं असमंजस में था कि 36-37 साल के सुबोध के इतनी बड़ी लड़की, सुबोध की शादी को दस- ग्यारह साल ही हुए हैं। चाय समाप्त होते-होते सुबोध पत्नी सहित आ गया और देखकर एकदम मुझसे लिपट गया। प्रोफेसर सुबोध ने बताया कि करीब नौ साल पहले कालेज के कुछ काम से लखनऊ से कानपुर गया था। सिर भारी था, सो एक दवा की दुकान से गोली लेकर जैसे ही मुड़ा तो देखा कि दुकान के बरामदे में 12-13 वर्ष की लड़की खड़ी रो रही है। उसने बताया कि उसके पिता बीमार हैं। मैंने लड़की से नुस्खा लेकर सब दवाएं लीं और फिर गलियों में गुजरता, लगभग पन्द्रह मिनट में एक पुराने से मकान के सामने पहुंचा। दरवाजा अधेड़ महिला ने खोला। लड़की ने मुझसे कहा आप बैठक में आ जायें, पिताजी वहां लेटे हैं। पचास-बावन वर्ष के दुबले से एक महोदय लेटे थे। मैं बीमार से उसके बारे में कुछ बातें कर रहा था कि लड़की ने बैठक में आकर लाइट जलाई और गिलास में चाय मेरे सामने रख दी। एक पुरानी फोटो फ्रेम में लगी थी उस पर सूखे फूलों का हार पड़ा था। मैंने उसके नीचे पढ़ा श्री राज किशोर श्रीवास्तव, जन्मतिथि और देहान्त की तारीख भी लिखी थी। बीमार ने इशारे में बताया कि यह उनके पिता थे। मैं राजकिशोर की फोटो बराबर देख रहा था और याद करने की कोशिश कर रहा था कि उन्हें मैंने कहां देखा है। याद नहीं कर पा रहा था और जिस वर्ष उनका देहान्त हुआ था वही वर्ष मेरे जन्म का था। एकदम मेरे सिर में विस्फोट हुआ और सब याद आ गया। मैंने बीमार महाशय को गौर से देखा और पहचान लिया। आंखों में आंसू आ गये। मैंने पास जाकर धीरे से पूछा, बेटा जुगल तुम्हारी मां जानकी कहां है? अपना नाम, अपनी मां का नाम तथा बेटा संबोधन से वह चौंक उठा। हकलाकर बोला आप कैसे जानते हैं। मैंने कहा, जुगल मैं ही राजकिशोर हूं। मेरी बातें सुनकर जुगल, उसकी पत्नी और बेटी रोने लगे। जुगल ने बताया कि उसकी मां का स्वर्गवास तभी हो गया था। बीमारी से नौकरी छूट गई। चार दिन मैं कानपुर ठहरा और जुगल उसकी पत्नी और बेटी को सब सामान सहित अपने साथ ले आया। सुबोध फिर बोला, यह जुगल मेरे पिछले जन्म के बेटे हैं। और मीना मेरी नातिन। मीना की पिछले साल शादी कर दी है। मीना मुझे पापा और जुगल को बड़े पापा कहती है। राहुल भी अपनी मां को मां और जुगल की पत्नी को बड़ी मां कहता है। कोई नहीं जानता कि हमारा पिछली जन्म का क्या रिश्ता है। Stay Connected What is your reaction? INTERESTING 0 KNOWLEDGEABLE 0 Awesome 0 Considerable 0 improvement 0 Astologer cum Vastu vid Harshraj SolankiJivansar.com is a website founded by Mr. Harshraj Solanki the main aim of the astrological website is to aware people about genuine astrological knowledge and avoid misconception regarding astrology and spirituality.By his genuine practical and Scientific knowledge of astrology,people gets benefit and appreciate his work very much as well as his website for analysing any Kundli very scientifically and gives powerful remedies. His predictions are very real deep observed and always try to give traditional scientific remedies which is based on Biz Mantra,Tantrik totka Pujas,Yoga Sadhana,Rudraksha and Gems therapy. Website Facebook