LAGHU KATHA(लघु कथाएं) बंदगी 101 views0 Share एक बार बादशाह अकबर शिकार पर निकले। कुछ दूर उन्हें एक जंगल दिखाई दिया और वे उसमें घुसकर शिकार की तलाश करने लगे। पर उस दिन न जाने क्या हुआ कि उन्हें शिकार न मिला। झाड़ियों के पीछे से अचानक एक हिरन निकला और बादशाह ने उसके पीछे घोड़ा दौड़ा दिया। घोड़े के टापों की तेज आवाज सुन हिरन चौकड़ी भरता हुआ दूर निकल गया और गायब हो गया। पीछा करते बादशाह आगे निकल आया और जंगल में भटकने लगा।बहुत भटकने के थकान बाद वह जंगल के दूसरे छोर पर निकल आया। भूख, प्यास और से बुरा हाल था। उसने, नजर दौड़ाई तो एक झौंपड़ी दिखाई दी और वह उधर हो लिया। वहीं पहुंच कर उसने देखा कि एक किसान अपने परिवार के साथ उसमें रह रहा है। उसने बादशाह को कभी देखा नहीं था। घोड़े पर सवार राजपुरुष को अपने सामने या वह घबरा गया। उसकी परेशानी पहचान बादशाह घोड़े से उतर आया और बोला, ‘भूख, प्यास और थकान के मारे मेरा दम निकल रहा है। मुझे खाने-पीने को कुछ मिल सकेगा?’ यह सुन किसान की जान में जान आई। वह बोला, ‘मैं तो गरीब आदमी हूं। आपके लायक मेरे पास क्या मिलेगा। फिर भी रूखा-सूखा जो कुछ भी मेरे पास है उसे आपकी खिदमत में पेश कर खुशी होगी।’ बादशाह ने कहा, ‘अरे भाई, जो कुछ हो जल्दी लाओ।’ तब किसान ने पत्नी से कहा कि अपने लिए जो कुछ पकाया है उसे मुसाफिर को परोस दो। बादशाह ने परोसे गए भोजन को मजे से खाया। वह उसे अमृत से भी मीठा लगा। फिर ठंडा पानी पी तृप्त हो वह फर्श पर चटाई पर सो गया। जब उठा तो खुश था, थकान गायब हो चुकी थी। किसान पर प्रसन्न होते हुए बादशाह बोला, ‘अरे भाई, मैं तुम से खुश हूं। अपने तुम्हें क्या चाहिए। ॥ सेवाभाव से तुमने मुझे मोह लिया है। बताओ जारा।’ किसान हाथ जोड़कर विनम्रता से बोला मुझे कुछ नहीं चाहिए। ‘हुजूर, मुझे कुछ से जो कुछ उपज होती है उससे गुजारा हो जाता है और मेरे पास भगवान का दिया सब कुछ है। खेती से मेरा और मेरे परिवार का गुजारा हो जाता है और इधर जो अतिथि आ निकलते है उसकी भी सेवा हो जाती है। मुझे और क्या चाहिए?” किसान का उत्तर सुन बादशाह दंग रह गया और सोचने लगा, ‘एक यह है जो इस गरीबी में भी मस्त है और दूसरी तरफ मैं हूं जो इतने बड़े साम्राज्य से भी संतुष्ट नहीं और हर वक्त उसे और बढ़ाने में लगा रहता हूँ।’ इतने में शोर सुनाई दिया। बादशाह को ढूंढ़ते सैनिक उधर से निकल रहे थे कि 7 उनकी नजर झौंपड़ी के आगे खड़े बादशाह के घोड़े पर पड़ी और उन्होंने झौंपड़ी को घेर लिया। बादशाह फुर्ती से बाहर निकल आया। उसे सही सलामत पाकर उन लोगों की जान में जान आई और वे अदब से झुक कर सलाम बजाने लगे। सैनिकों को देखकर किसान घबरा गया। उसकी समझ में आने लगा कि उसकी झौंपड़ी में स्वयं बादशाह ही रुका था। वह सोच में पड़ गया कि अपने उत्तर में उसने बादशाह के प्रति कहीं कोई गुस्ताखी तो नहीं कर दी। उसकी घबराहट देख बादशाह ने उसे आश्वस्त करते हुए शाही मुहर वाली सोने की एक मुद्रा दी और कहा, इसे संभालकर अपने पास रखो और जब कभी तुम्हें मेरी जरूरत पड़े मेरे पास चले आना। यह मुद्रा दिखाने पर कोई भी तुम्हें रोके-टोके बिना सीधे मेरे पास ले आएगा। समय बीतता चला गया और किसान अपनी मस्ती में जीता रहा। उसका परिवार बढ़ता गया तंगी भी बढ़ती गई। बेटी विवाह के योग्य हो गई थी जिससे उसकी चिंताएं बढ़ने लगीं। एक रात जब वे लोग परेशान हो रहे थे तो पत्नी को शाही मुद्रा वाली बात याद आ गई और उसने बादशाह का दरवाजा खटखटाने की सलाह दी। आखिर मजबूर होकर उसने बादशाह से मिलने का इरादा कर लिया और वह घर से निकल पड़ा। बड़ी मुश्किल से वह राजधानी पहुंचा और बादशाह के महलं तक आ गया। वहां मुख्य द्वार पर शाही मुद्रा दिखाई और कहा कि बादशाह से मिलना है। मुद्रा देखते ही एक सैनिक उसे बादशाह के निजी महल तक ले गया और एक अधिकारी को सौंप आया। भीतर से पूछने के बाद अधिकारी ने कहा, ‘अभी बादशाह सलामत नहीं मिल सकते। कुछ देर रुकना होगा। ‘हैरान होकर वह बोला, ‘बादशाह ने कहा था कि यह मुद्रा दिखाने पर मुझे बेरोक-टोक उनके पास ले जाया जायेगा।’ अधिकारी ने कहा, ‘इस समय वे खुदा की बंदगी पर बैठे हैं, नमाज पढ़ रहे हैं और किसी को भी वहां जाने की इजाजत नहीं है।’किसान की हैरानी का ठिकाना न रहा और वह पूछ बैठा, ‘क्या बादशाह रोज बंदगी करते हैं ?’ उत्तर मिला, ‘हां, वे रोज नमाज पढ़ते हैं, खुदा की बंदगी करते हैं तथा अपनी और प्रजा की भलाई के लिए दुआ करते हैं।’ इतना सुनते ही किसान खड़ा हो गया और बोला, ‘मैं कितना मूर्ख हूं। बेकार में बादशाह को तंग करने इतनी दूर चला आया। अगर उसे भी ईश्वर से ही मांगना पड़ता है तो मैं सीधे उसी से क्यों न मांगू? बीच में बादशाह को लाने की क्या जरूरत है ?’ यह कहकर वह वहां से लौट पड़ा।जब बादशाह को किसान के आने और इस तरह चले जाने की खबर मिली तो उसने किसान की सोच को झुक कर सलाम किया। Stay Connected What is your reaction? INTERESTING 0 KNOWLEDGEABLE 0 Awesome 0 Considerable 0 improvement 0 Astologer cum Vastu vid Harshraj SolankiJivansar.com is a website founded by Mr. Harshraj Solanki the main aim of the astrological website is to aware people about genuine astrological knowledge and avoid misconception regarding astrology and spirituality.By his genuine practical and Scientific knowledge of astrology,people gets benefit and appreciate his work very much as well as his website for analysing any Kundli very scientifically and gives powerful remedies. His predictions are very real deep observed and always try to give traditional scientific remedies which is based on Biz Mantra,Tantrik totka Pujas,Yoga Sadhana,Rudraksha and Gems therapy. Website Facebook