Surya Vigyan सूर्य विज्ञान गायत्री उपासना का फल 133 views0 Share समस्त ऋषियों, मुनियों, देवताओं को मां गायत्री से ही ज्ञान प्राप्त हुआ है। इसके बारे में अथर्ववेद में कहा भी गया है- ‘ऊं स्तुता मया वरदा वेदमाता प्रचोदयन्तां पावमानी द्विजानाम्। आयुः प्राणं प्रजां पशुं कीर्ति द्रविणं ब्रह्मवर्चसं मह्यम् दत्वावजत् ब्रह्मलोकं ।।’ वेद भगवान कहते हैं- गायत्री माता स्तुति करने वाले भक्त को सर्वप्रथम पवित्र कर ज्ञान देकर द्विजत्व प्रदान करती है, फिर आयु, प्राण, प्रजा, पशु,कीर्ति, धन, ब्रह्मतेज ब्रह्मलोक प्रदान करती हैं। इसलिए हमारी वैदिक संस्कृति, भारतीय सभ्यता-संस्कृति का मूलाधार, मेरूदंड वेदमाता, देवमाता, विश्वमाता गायत्री को कहा गया है। गायत्री ही प्राणतत्व के संरक्षण की मूल शक्ति हैं। गायत्री महाप्रज्ञा हैं। इन्हें ऋतंभरा प्रज्ञा के नाम से सम्बोधित किया जाता है। चारों वेदों की जननी मां गायत्री के 24 अक्षरों में वह भावना, शिक्षा और शक्ति है, जिसका आश्रय लेकर मनुष्य लौकिक और पारलौकिक प्रगति की दिशा में तेजी से अग्रसर हो सकता है। इन 24 अक्षरों का गुंथन ऐसे वैज्ञानिक ढंग से हुआ है कि उनका क्रमबद्ध उच्चारण करने मात्र से भी मनुष्य शरीर में अवस्थित सूक्ष्म चक्र, उपचक्र एवं उपत्यिकाएं जाग्रत होती हैं और गुण, कर्म, स्वभाव, आत्मिक स्तर में सकारात्मक परिवर्तन होता है। फिर यदि भावनाएवं विधि-विधान के साथ उनकी उपासना की जा सके, तब तो कहना ही क्या है। भारत में आदिकाल से ही गायत्री उपासना की प्रधानता रही है। त्रिकाल संध्या में गायत्री के बिना भारतीय धर्म के अनुरूप संध्या उपासना हो ही नहीं सकती। राम और कृष्ण गायत्री के अनन्य उपासक थे। समस्त ऋषियों की तपश्चर्या का केंद्रबिंदु गायत्री थीं।प्राचीन भारत का जो महान गौरव दृष्टिगोचर होता है, उसके पीछे गायत्री शक्ति की प्रधानता थी। देश, धर्म, समाज और संस्कृति के नव-जागरण की इस पुण्य वेला में हमें आत्मिक शक्तियों का आश्रय लेना पड़ेगा। आत्मबल ही संसार का सबसे बड़ा बल है। उत्थान का मूल स्रोत भौतिक साधन-सामग्री में नहीं, आत्मिक स्तर में ही सन्निहित है, इसलिए हमें पुनः उसी शक्तिस्त्रोत को अपनाना पड़ेगा, जिसका आश्रय लेकर हमारे पूर्व पुरुष सर्वांगीण प्रगति के पथ पर अग्रसर हुए थे। हमें महातत्त्व गायत्री की शरण में जाना ही पड़ेगा। हमारी वैयक्तिक एवं सामूहिक प्रगति का वास्तविक आधार गायत्री महामंत्र के आधार पर विकसित हुआ महान आत्मबल ही हो सकता है। भौतिकता में पैर से चोटी तक डूबे हुए व्यक्तियों को अध्यात्म की ओर आकर्षित करने के लिए कर्मकांड का आकर्षण एक सीमा तक कारगर हो सकता है, पर उसकी उपयोगिता तभी है, जब आगे चलकर उपासक अपने विधि-विधान के स्तर को बदलकर आत्मकल्याण के लिए सत्गुणों की ओर चल पड़े।आत्मतत्व की साधना कर हम सारे कर्मकांडो और सांसारिक आडंबरो से ऊपर उठकर उस परम मे विलीन हो सकते है तथा निर्वाण प्राप्त कर सकते है। Stay Connected What is your reaction? INTERESTING 0 KNOWLEDGEABLE 0 Awesome 1 Considerable 0 improvement 0 Astologer cum Vastu vid Harshraj SolankiJivansar.com is a website founded by Mr. Harshraj Solanki the main aim of the astrological website is to aware people about genuine astrological knowledge and avoid misconception regarding astrology and spirituality.By his genuine practical and Scientific knowledge of astrology,people gets benefit and appreciate his work very much as well as his website for analysing any Kundli very scientifically and gives powerful remedies. His predictions are very real deep observed and always try to give traditional scientific remedies which is based on Biz Mantra,Tantrik totka Pujas,Yoga Sadhana,Rudraksha and Gems therapy. Website Facebook