Chalisa Sangrah चालीसा संग्रह Sri Giriraj Chalisa~श्री गिरिराज चालीसा 231 views0 Share || श्री गिरिराज चालीसा || ।।दोहा।। बंदहुं वीणा वादिनी, धरि गणपति को ध्याना । महाशक्ति राधा सहित, कृष्ण करौ कल्याण ।। सुमिरन करि सब देवगण, गुरु पितु बारम्बार ।। बरनौ श्री गिरिराज यश, निज मति के अनुसार ।। ।।चौपाई।। जय हो जय बंदित गिरिराजा । ब्रज मंडल के श्री महाराजा ।। विष्णु रूप तुम हो अवतारी । सुंदरता पै जग बलिहारी ।। स्वर्ण शिखर अति शोभा पामें । सुर मुनि गण दरशन कूं आमें ।। शांत कंदरा स्वर्ग समाना । जहां तपस्वी धरते ध्याना ।। द्रोणगिरि के तुम युवराजा । भक्तन के साधौ हौ काजा ।। मुनि पुलस्त्य जी के मन भाए । जोर विनय कर तुम कूं लाए ।। मुनिवर संघ जब ब्रज में आए । लखि ब्रजभूमि यहाँ ठहराए ।। विष्णु धाम गौलोक सुहावन । यमुना गोवर्धन वृंदावन ।। देख देव वन में ललचाए । बास करन बहु रूप बनाए ।। कोउ बानर कोउ मृग के रूपा । कोउ वृक्ष कोउ लता स्वरूपा ।। आनंद लें गोलोक धाम के । परम उपासक रूप नाम के ।। द्वापर अंत भये अवतारी । कृष्णचंद्र आनंद मुरारी ।। महिमा तुम्हारी कृष्ण बखानी । पूजा करिबे की मन ठानी ।। ब्रजवासी सबके लिए बुलाई । गोवर्द्धन पूजा करवाई ।। पूजन कूं व्यंजन बनवाए । ब्रजवासी घर घर ते लाए ।। ग्वाल बाल मिलि पूजा कीनी । सहस भुजा तुमने कर लीनी ।। स्वयं प्रकट हो कृष्ण पूजा में । मांग मांग के भोजन पामें ।। लखि नर नारी मन हरषामें । जै जै जै गिरिवर गुण गामें ।। देवराज मन में रिसियाए । नष्ट करन ब्रज मेघ बुलाए ।। छांया कर ब्रज लियौ बचाई । एकउ बूंद न नीचे आई ।। सात दिवस भई बरसा भारी । थके मेघ भारी जल धारी ।। कृष्णचंद्र ने नख पै धारे । नमो नमो ब्रज के पखवारे ।। करि अभिमान थके सुरसाई । क्षमा मांग पुनि अस्तुति गाई ।। त्राहि माम् मैं शरण तिहारी । क्षमा करो प्रभु चूक हमारी ।। बार बार बिनती अति कीनी । सात कोस परिकम्मा दीनी ।। संग सुरभि ऎरावत लाए । हाथ जोड़कर भेंट गहाए ।। अभय दान पा इंद्र सिहाए । करि प्रणाम निज लोक सिधाए ।।जो यह कथा सुनैं चित्त लावैं । अंत समय सुरपति पद पावैं ।। गोवर्द्धन है नाम तिहारौ । करते भक्तन कौ निस्तारौ ।। जो नर तुम्हरे दर्शन पावें । तिनके दुख दूर ह्वै जावें ।। कुण्डन में जो करें आचमन । धन्य धन्य वह मानव जीवन ।। मानसी गंगा में जो नहावें । सीधे स्वर्ग लोग कूं जावें ।। दूध चढ़ा जो भोग लगावै । आधि व्याधि तेहि पास न आवें ।। जल फल तुलसी पत्र चढ़ावें । मन वांछित फल निश्चय पावें । जो नर देत दूध की धारा । भरौं रहे ताकौ भंडारा ।। करें जागरण जो नर कोई । दुख दरिद्र भय ताहि न होई ।। “ओम” शिलामय निज जन त्राता । भक्ति मुक्ति सरबस के दाता ।। पुत्रहीन जो तुम कूं ध्यावें । ताकूं पुत्र प्राप्ति ह्वै जावें ।। दंडौती परिकम्मा करहीं । ते सहजहि भवसागर तरहीं ।। कलि में तुमसम देव न दूजा ।। सुर नर मुनि सब करते पूजा ।। ।।दोहा।। जो यह चालीसा पढ़े, शुद्ध चित्त लाय । सत्य सत्य यह सत्य है, गिरिवर करैं सहाय । क्षमा करहुं अपराध मम, त्राहि माम् गिरिराज । श्याम बिहारी शरण में, गोवर्द्धन महाराज ।। Stay Connected What is your reaction? INTERESTING 0 KNOWLEDGEABLE 0 Awesome 0 Considerable 0 improvement 0 Astologer cum Vastu vid Harshraj SolankiJivansar.com is a website founded by Mr. Harshraj Solanki the main aim of the astrological website is to aware people about genuine astrological knowledge and avoid misconception regarding astrology and spirituality.By his genuine practical and Scientific knowledge of astrology,people gets benefit and appreciate his work very much as well as his website for analysing any Kundli very scientifically and gives powerful remedies. His predictions are very real deep observed and always try to give traditional scientific remedies which is based on Biz Mantra,Tantrik totka Pujas,Yoga Sadhana,Rudraksha and Gems therapy. Website Facebook