Ashtakam अष्टकम Suryashtakam~सूर्याष्टकं 258 views0 Share || सूर्याष्टकं || जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर या पीड़ित अवस्था में है तो सूर्य की शांति के लिए सूर्याष्टकं का नित्य पाठ करना चाहिए।जिन लोगों को मान-हानि या पद-प्रतिष्ठा में कमी हो या मनचाही नौकरी नहीं मिल पा रही हो है या सरकारी नौकरी मिलने में कठिनाई आ रही है तब उन्हें हर रविवार को सुबह स्नान आदि से निवृत होकर सूर्याष्टकम का यह पाठ पूरे श्रद्धा-भक्ति के साथ करना चाहिए इससे बहुत लाभ मिलता है।हमारे ज्योतिष शास्त्र में ओज-तेज में वृद्धि का कारक सूर्य को ही माना जाता है इसलिए भी सूर्य का नित्य आराधना आवश्यक है। आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोSस्तु ते।।1।। अर्थ – हे आदिदेव भास्कर!(सूर्य का एक नाम भास्कर भी है) आपको प्रणाम है, आप मुझ पर प्रसन्न हों, हे दिवाकर! आपको नमस्कार है, हे प्रभाकर! आपको प्रणाम है। सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्। श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ।।2।। अर्थ – सात घोड़ों वाले रथ पर आरुढ़, हाथ में श्वेत कमल धारण किये हुए, प्रचण्ड तेजस्वी कश्यपकुमार सूर्य को मैं प्रणाम करता/करती हूँ। लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम्। महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।3।। अर्थ – लोहितवर्ण रथारुढ़ सर्वलोकपितामह महापापहारी सूर्य देव को मैं प्रणाम करता/करती हूँ। त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम्। महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।4।। अर्थ – जो त्रिगुणमय ब्रह्मा, विष्णु और शिवरूप हैं, उन महापापहारी महान वीर सूर्यदेव को मैं नमस्कार करता/करती हूँ। बृंहितं तेज:पु़ञ्जं च वायुमाकाशमेव च। प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ।।5।। अर्थ – जो बढ़े हुए तेज के पुंज हैं और वायु तथा आकाशस्वरुप हैं, उन समस्त लोकों के अधिपति सूर्य को मैं प्रणाम करता/करती हूँ। बन्धूकपुष्पसंकाशं हारकुण्डलभूषितम्। एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।6।। अर्थ – जो बन्धूक (दुपहरिया) के पुष्प समान रक्तवर्ण और हार तथा कुण्डलों से विभूषित हैं, उन एक चक्रधारी सूर्यदेव को मैं प्रणाम करता/करती हूँ। तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज:प्रदीपनम्। महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।7।। अर्थ – महान तेज के प्रकाशक, जगत के कर्ता, महापापहारी उन सूर्य भगवान को मैं नमस्कार करता/करती हूँ। तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्। महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।8।। अर्थ – उन सूर्यदेव को, जो जगत के नायक हैं, ज्ञान, विज्ञान तथा मोक्ष को भी देते हैं, साथ ही जो बड़े-बड़े पापों को भी हर लेते हैं, मैं प्रणाम करता/करती हूँ। इति श्रीशिवप्रोक्तं सूर्याष्टकं सम्पूर्णम्। Stay Connected What is your reaction? INTERESTING 0 KNOWLEDGEABLE 0 Awesome 0 Considerable 0 improvement 0 Astologer cum Vastu vid Harshraj SolankiJivansar.com is a website founded by Mr. Harshraj Solanki the main aim of the astrological website is to aware people about genuine astrological knowledge and avoid misconception regarding astrology and spirituality.By his genuine practical and Scientific knowledge of astrology,people gets benefit and appreciate his work very much as well as his website for analysing any Kundli very scientifically and gives powerful remedies. His predictions are very real deep observed and always try to give traditional scientific remedies which is based on Biz Mantra,Tantrik totka Pujas,Yoga Sadhana,Rudraksha and Gems therapy. Website Facebook