Shri Durga Saptashati - Chandi Pathaमाँ दुर्गा पुजा Aath Vedoktam Ratri Suktam~अथ वेदोक्तं रात्रिसूक्तम् 273 views0 Share || अथ वेदोक्तं रात्रिसूक्तम् || ~विनियोग~ ऊँ रात्रीत्याद्यष्टर्चस्य सूक्तस्य कुशिक: सौभरो रात्रिर्वा भारद्वाजो ऋषि:, रात्रिर्देवता, गायत्री छन्द:, देवीमाहात्म्यपाठे विनियोग: । ऊँ रात्री व्यख्यदायती पुरुत्रा देव्यक्षभि: । विश्वा अधि श्रियोsधित ।।1।। ओर्वप्रा अमर्त्यानिवतो देव्युद्वत: । ज्योतिषा बाधते तम: ।।2।। निरु स्वसारमस्कृतोषसं देव्यायती । अपेदु हासते तम: ।।3।। सा नो अद्य यस्या वयं नि ते यामन्नविक्ष्महि । वृक्षे न वसतिं वय: ।।4।। नि ग्रामासो अविक्षत नि पद्वन्तो नि पक्षिण: । नि श्येनासश्र्चदर्थिन: ।।5।। यावया वृक्यं वृकं यवय स्तेनमूर्म्ये । अथा न: सुतरा भव ।।6।। उप मा पेपिशत्तम: कृष्णं व्यक्तमस्थित । उष ऋणेव यातय ।।7।। उप ते गा इवाकरं वृणीष्व दुहितर्दिव: । रात्रि स्तोमं न जिग्युषे ।।8।। (यह रात्रिसूक्तम् ऋग्वेद के मं. 10 अ. 10 सू. 127 मंत्र 1 से 8 तक।) वेदोक्त रात्रिसूक्त का भावार्थ (हिन्दी अनुवाद) महा तत्त्वादिरूप व्यापक इन्द्रियों से सब देशों में समस्त वस्तुओं को प्रकाशित करने वाली ये रात्रिरूपा देवी अपने उत्पन्न किये हुए जगत के जीवों के शुभाशुभ कर्मों को विशेष रूप से देखती हैं और उनके अनुरूप फल की व्यवस्था करने के लिए समस्त विभूतियों को धारण करती हैं. ये देवी अमर हैं और सम्पूर्ण विश्व को, नीचे फैलने वाली लता आदि को तथा ऊपर बढ़ने वाले वृक्षों को भी व्याप्त करके स्थित हैं, इतना ही नहीं, ये ज्ञानमयी ज्योति से जीवों के अज्ञान रूपी अंधकार का नाश कर देती हैं. परा चिच्छक्तिरूपा रात्रिदेवी आकर अपनी बहिन ब्रह्मविद्यामयी उषादेवी को प्रकट करती हैं, जिससे अविद्यामय अन्धकार स्वत: नष्ट हो जाता है. वे रात्रिदेवी इस समय मुझ पर प्रसन्न हों, जिनके आने पर हम लोग अपने घरों में सुख से सोते हैं – ठीक वैसे ही जैसे रात्रि के समय पक्षी वृक्षों पर बनाए हुए अपने घोंसलों में सुखपूर्वक शयन करते हैं. उस करुणामयी रात्रिदेवी के अंक में सम्पूर्ण ग्रामवासी मनुष्य, पैरों से चलने वाले गाय, घोड़े आदि पशु, पंखों से उड़ने वाले पक्षी एवं पतंग आदि, किसी प्रयोजन से यात्रा करने वाले पथिक और बाज आदि भी सुखपूर्वक सोते हैं. हे रात्रिमयी चिच्छक्ति ! तुम कृपा करके वासनामयी वृकी तथा पापमय वृक को हमसे अलग करो. काम आदि तस्करसमुदाय को भी दूर हटाओ. इसके बाद हमारे लिए सुखपूर्वक तरने योग्य हो जाओ – मोक्षदायिनी एवं कल्याणकारिणी बन जाओ. हे उषा ! हे रात्रि की अधिष्ठात्री देवी ! सब ओर फैला हुआ यह अज्ञानमय काला अन्धकार मेरे निकट आ पहुंचा है. तुम इसे ऋण की भाँति दूर करो – जैसे धन देकर अपने भक्तों के ऋण दूर करती हो, उसी प्रकार ज्ञान देकर इस अज्ञान को भी हटा दो. हे रात्रिदेवी ! तुम दूध देने वाली गाय के समान हो. मैं तुम्हारे समीप आकर स्तुति आदि से तुम्हें अपने अनुकूल करता हूँ. परम व्योमस्वरूप परमात्मा की पुत्री ! तुम्हारी कृपा से मैं काम आदि शत्रुओं को जीत चुका हूँ, तुम स्तोम की भाँति मेरे इस हविष्य को भी ग्रहण करो. वेदोक्त रात्रिसूक्त सम्पूर्ण हुआ।। Stay Connected What is your reaction? INTERESTING 0 KNOWLEDGEABLE 0 Awesome 0 Considerable 0 improvement 0 Astologer cum Vastu vid Harshraj SolankiJivansar.com is a website founded by Mr. Harshraj Solanki the main aim of the astrological website is to aware people about genuine astrological knowledge and avoid misconception regarding astrology and spirituality.By his genuine practical and Scientific knowledge of astrology,people gets benefit and appreciate his work very much as well as his website for analysing any Kundli very scientifically and gives powerful remedies. His predictions are very real deep observed and always try to give traditional scientific remedies which is based on Biz Mantra,Tantrik totka Pujas,Yoga Sadhana,Rudraksha and Gems therapy. Website Facebook