मैं पंडित गुलशन कर्मकांडी पंडित हूं जो पुराने पद्धतियों और रीतियों को अपनाने वाले हिंदू धर्म और धार्मिक कार्यों और यज्ञों को अपना लक्ष्य माना और परंपरागत संस्कृति के अध्ययन और प्रचार-प्रसार में अपना योगदान दिया।मुझे कर्मकांड के क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव है। मैंने संस्कृत में स्नातकोत्तर की डिग्री बीएचयू से प्राप्त की है।मैं धार्मिक साहित्य और वैदिक शास्त्रों का सम्यक ज्ञान तो नहीं रखता किंतु मुझे हिंदू वैदिक शास्त्र-पुराण आदि मंत्रों का गहरा ज्ञान है! मुझे इतना तो अवश्य पता है कि हिंदू धर्म के शास्त्र, पुराण और मंत्र विश्वास के मूल माने जाते हैं। वेद, उपनिषद, धर्मशास्त्र, धर्मसूत्र, स्मृति, पुराण, रामायण, महाभारत जैसे विभिन्न शास्त्रों और पुराणों में अनंत ज्ञान छिपा हुआ है। इन ग्रंथों में ब्रह्मांड, धर्म, आध्यात्मिकता, देवी-देवताओं के चरित्र, विश्व के उत्पत्ति और संरचना, धार्मिक अनुष्ठान, मन्त्र, ध्यान, पूजा, उपासना आदि के बारे में विस्तृत ज्ञान उपलब्ध है। मेरा निजी अनुभव कहता है कि मंत्रों के ज्ञान से व्यक्ति अपने जीवन को सकारात्मक बनाने, शक्तियों को जागृत करने, ध्यान में समर्पित होकर अध्यात्मिक विकास कर सकता है। मंत्र उच्चारण और उपासना में भक्ति, श्रद्धा और ध्यान का महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वैदिक मंत्रों का शुद्ध और सटीक उच्चारण व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।संस्कृत भाषा में लिखे ग्रंथों और मंत्रों का ज्ञान धार्मिक अनुष्ठान और आध्यात्मिक अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे व्यक्ति अपने जीवन को संतुलित, सफल और परम सुखी बना सकता है। ज्योतिष में भी मंत्रों का का खासा महत्व है और इसके आधार पर पूजा-पाठ आदि पद्धति का अनुसरण किया जाता है। ज्योतिष द्वारा व्यक्ति के जन्म के समय और स्थान के आधार पर नक्षत्र, ग्रह और गोचर की विशेषताओं को जानकर उपयुक्त पूजा और पाठ किया जाता है एवं पीड़ित ग्रहों की शांति करवाई जाती है। इससे जातक के भावी जीवन में संघर्षों की कमी एवं भाग्योदय होने में सहायता मिलती है और जीवन समृद्धि की ओर अग्रसर होता है और इसके साथ ही साथ अन्य उपास्य देवी-देवताओं की अनुष्ठान विधि का समय और विधान का निर्धारण करने में मदद करता है।वैदिक पूजा में संस्कृत के मंत्रों का उच्चारण बहुत महत्वपूर्ण है। संस्कृत भाषा वैदिक साहित्य की मातृभाषा होती है और इसे प्राचीन भारतीय धार्मिक ग्रंथों में उपयोग किया जाता है। वैदिक मंत्रों का उच्चारण वैदिक पूजा और अनुष्ठान के दौरान धार्मिक अनुष्ठानों को पूर्ण करने के लिए किया जाता है। मेरी अनुभव से इन कारणों से मंत्रों के उच्चारण का महत्व रूप से बढ़ जाता है: शक्ति प्राप्ति: संस्कृत मंत्रों के उच्चारण से मन शुद्ध होता है और व्यक्ति ध्यान केंद्रित करके अपने आंतरिक शक्ति को जगाता है। दैवीय संवाद: संस्कृत मंत्रों का उच्चारण देवताओं और ऊँची शक्तियों के संवाद में मधुर और सकारात्मक ऊर्जा भरता है। शुभ फल: वेद में कहा गया है कि संस्कृत मंत्रों के उच्चारण से व्यक्ति के जीवन में शुभ फल मिलता है। पूर्णांक अनुष्ठान: वैदिक पूजा में मंत्रों का उच्चारण अनुष्ठान को पूर्ण करता है और धार्मिक अनुष्ठान की सफलता के लिए आवश्यक होता है। पवित्रता: संस्कृत मंत्रों की उच्चारण से वातावरण पवित्र होता है और पूजा अथवा धार्मिक अनुष्ठान का माहौल धार्मिकता और आध्यात्मिकता से भर जाता है। संस्कृत मंत्रों का शुद्ध और सटीक उच्चारण शांति, समृद्धि, आनंद, स्वास्थ्य और सफलता के प्रति व्यक्ति की भावना को स्थायी करता है और उसे आध्यात्मिक संबंध में मदद करता है। इसलिए, वैदिक पूजा में संस्कृत मंत्रों के शुद्ध शुद्ध उच्चारण का महत्वपूर्ण योगदान होता है। मेरे द्वारा ज्योतिषीय पूजा पद्धति – हिंदू धर्म में पूजा पाठ पद्धति ज्योतिष के आधार पर विविध ग्रह, नक्षत्र और दिनों के अनुसार अलग-अलग देवताओं की पूजा करने के विधान को ध्यान में रखती है। प्रतिदिन की पूजा विधि में दिन के विशेष समय और नक्षत्र के बारे में विचार किया जाता है जो ज्योतिषीय गुणों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। एक उदाहरण के रूप में, चंद्रमा के दिन को सोमवार (Monday) माना जाता है और श्रवण नक्षत्र (Shravan Nakshatra) को विशेष ध्यान दिया जाता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा करने से सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। पूजा में मां दुर्गा के १०८ नामों का जाप और उनके ध्यान का महत्व होता है। इसी तरह, अन्य ग्रहों और नक्षत्रों के दिन भी विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा की जाती है जिससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। पूजा पद्धति में ध्यान रखने से यह माना जाता है कि ज्योतिष के अनुसार समय और नक्षत्र के बारे में जानकारी आपके जीवन को प्रभावित करती है और पूजा में समर्पिति आपके लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होती है और इससे भावी जीवन के संघर्षों को कम कर भावी जीवन के उन्नति किया जा सकता है। इस संदर्भ में,मुझे इस बात की आत्म संतुष्टि है कि जीवनसार संस्था ने ज्योतिष के साथ-साथ इसके पीछे के विज्ञान लॉजिक के ऊपर पर्याप्त रूप से कार्य किया है जाने-माने ज्योतिष एवं वास्तुविद हर्षराज सोलंकी के सानिध्य में अनेकों ग्रह नक्षत्र की शांति अन्य कर्मकांड और यज्ञ का अनुष्ठान किया है इससे अनेक अनुयायियों को पर्याप्त रूप से लाभ मिला है,हां ! इसमें कोई दो राय नहीं कि इसमें से कुछ अपवाद भी हैं। अतः अपने कुंडली का विश्लेषण पूर्णरूपेण करवाएं एवं संबंधित ग्रह नक्षत्रों की शांति आदि कर्मकांडो द्वारा आपके भावी जीवन में विश्रांति एवं आनंद की उर्जा जगाई जाए। जिससे जीवन में चारों पुरुषार्थ के अलावा आप अंतिम पुरुषार्थ मोक्ष के अधिकारी बन सके।