Ashtakam अष्टकम Shree Mahalakshmi Ashtak Strotram ~श्री महालक्ष्म्यष्टकम् स्तोत्रम् 242 views0 Share || श्री महालक्ष्म्यष्टकम् स्तोत्रम् || इन्द्र उवाच नमस्तेSस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते । शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोSस्तु ते ।।1।। अर्थ – इन्द्र बोले – श्रीपीठ पर स्थित और देवताओं से पूजित होने वाली हे महामाये ! तुम्हें नमस्कार है. हाथ में शंख, चक्र और गदा धारण करने वाली हे महालक्ष्मि ! तुम्हें प्रणाम है. नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि । सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोSस्तु ते ।।2।। अर्थ – गरुड़ पर आरुढ़ हो कोलासुर को भय देने वाली और समस्त पापों को हरने वाली हे भगवति महालक्ष्मि ! तुम्हें प्रणाम है. सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरि । सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मि नमोSस्तु ते ।।3।। अर्थ – सब कुछ जानने वाली, सबको वर देने वाली, समस्त दुष्टों को भय देने वाली और सबके दु:खों को दूर करने वाली हे देवि महालक्ष्मि ! तुम्हें नमस्कार है. सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि । मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोSस्तु ते ।।4।। अर्थ – सिद्धि, बुद्धि, भोग और मोक्ष देने वाली हे मन्त्रपूत भगवति महालक्ष्मि ! तुम्हें सदा प्रणाम है. आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि । योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोSस्तु ते ।।5।। अर्थ – हे देवि ! हे आदि-अन्तरहित आदिशक्ते ! हे महेश्वरि ! हे योग से प्रकट हुई भगवति महालक्ष्मि ! तुम्हें नमस्कार है. स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे ।महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोSस्तु ते ।।6।। अर्थ – हे देवि ! तुम स्थूल, सूक्ष्म एवं महारौद्ररूपिणी हो, महाशक्ति हो, महोदरा हो और बडे़-बड़े पापों का नाश करने वाली हो. हे देवि महालक्ष्मि ! तुम्हें नमस्कार है. पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि । परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोSस्तु ते ।।7।। अर्थ – हे कमल के आसन पर विराजमान परब्रह्मस्वरुपिणी देवि ! हे परमेश्वरि ! हे जगदम्ब ! हे महालक्ष्मि ! तुम्हें मेरा प्रणाम है. श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते । जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोSस्तु ते ।।8।। अर्थ – हे देवि ! तुम श्वेत वस्त्र धारण करने वाली और नाना प्रकार के आभूषणों से विभूषिता हो. सम्पूर्ण जगत में व्याप्त एवं अखिल लोक को जन्म देने वाली हो. हे महालक्ष्मि ! तुम्हें मेरा प्रणाम है. महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर: । सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ।।9।। अर्थ – जो मनुष्य भक्तियुक्त होकर इस महालक्ष्म्यष्टक स्तोत्र का सदा पाठ करता है, वह सारी सिद्धियों और राज्यवैभव को प्राप्त कर सकता है. एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् । द्विकाल य: पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वित: ।।10।। अर्थ – जो प्रतिदिन एक समय पाठ करता है, उसके बड़े-बड़े पापों का नाश हो जाता है. जो प्रतिदिन दो समय पाठ करता है, वह धन-धान्य से सम्पन्न होता है. त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम् । महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ।।11।। अर्थ – जो प्रतिदिन तीनों कालों में पाठ करता है, उसके महान शत्रुओं का नाश हो जाता है और उसके ऊपर कल्याणकारिणी वरदायिनी महालक्ष्मी सदा ही प्रसन्न होती हैं. ।।इति इन्द्रकृतं महालक्ष्म्यष्टकं सम्पूर्णम्।।( इस प्रकार इन्द्रकृत महालक्ष्म्यष्टक सम्पूर्ण हुआ ) Stay Connected What is your reaction? INTERESTING 0 KNOWLEDGEABLE 0 Awesome 0 Considerable 0 improvement 0 Astologer cum Vastu vid Harshraj SolankiJivansar.com is a website founded by Mr. Harshraj Solanki the main aim of the astrological website is to aware people about genuine astrological knowledge and avoid misconception regarding astrology and spirituality.By his genuine practical and Scientific knowledge of astrology,people gets benefit and appreciate his work very much as well as his website for analysing any Kundli very scientifically and gives powerful remedies. His predictions are very real deep observed and always try to give traditional scientific remedies which is based on Biz Mantra,Tantrik totka Pujas,Yoga Sadhana,Rudraksha and Gems therapy. Website Facebook