Shree Navgrah Chalisa श्री नवग्रह चालीसा Shree Navgrah Chalisa~श्री नवग्रह चालीसा 233 views0 Share || श्री नवग्रह चालीसा || चौपाई श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय। नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय।। जय जय रवि शशि सोम बुध जय गुरु भृगु शनि राज। जयति राहु अरु केतु ग्रह करहुं अनुग्रह आज।। श्री सूर्य स्तुति प्रथमही रवि कहं नावों माथा, करहु कृपा जन जानि अनाथा, हे आदित्य दिवाकर भानु, मै मति मन्द महा अज्ञानु, अब निज जन कहं हरहु क्लेशा, दिनकर द्वादश रूप दिनेशा, नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर, अर्क मित्र अघ ओघ पक्षमाकर !! श्री चन्द्र स्तुति शशि मयंक रजनी पति स्वामी, चंद्र कलानिधि नमो नमामि, राकापति हिमांशु राकेशा, प्रणवत जन तन हरहु कलेशा, सोम इंदु विधु शान्ति सुधाकर, शीत रश्मि औषधि निशाकर , तुम्ही शोभित सुंदर भाल महेशा, शरण शरण जन हरहु कलेशा !! श्री मंगल स्तुति जय जय मंगल सुखा दाता, लोहित भौमादिक विख्याता , अंगारक कुंज रुज ऋणहारि, करहु दया यही विनय हमारी , हे महिसुत छितिसुत सुखराशी, लोहितांगा जय जन अघनाशी , अगम अमंगल अब हर लीजै, सकल मनोरथ पूरण कीजै !! श्री बुध स्तुति जय शशि नंदन बुध महाराजा, करहु सकल जन कहं शुभ काजा, दीजै बुद्धिबल सुमति सुजाना, कठिन कष्ट हरी करी कल्याणा , हे तारासुत! रोहिणी नंदन! चंद्र सुवन दु:ख द्वंद निकन्दन, पूजहु आस दास कहुं स्वामी, प्रणत पाल प्रभु नमो नमामि !! श्री बृहस्पति स्तुति जयति जयति जय श्री गुरु देवा, करहु सदा तुम्हरी प्रभु सेवा, देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी, इन्द्र पुरोहित विद्या दानी, वाचस्पति बागीश उदारा, जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा, विद्या सिन्धु अंगीरा नामा, करहु सकल विधि पूरण कामा ! श्री शुक्र स्तुति शुक्र देव पद तल जल जाता, दास निरंतर ध्यान लगाता, हे उशना भार्गव भृगु नंदन, दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन, भृगुकुल भूषण दूषण हारी, हरहु नैष्ट ग्रह करहु सुखारी, तुही द्विजवर जोशी सिरताजा, नर शरीर के तुम्हीं राजा !! श्री शनि स्तुति जय श्री शनिदेव रवि नन्दन, जय कृष्णो सौरी जगवन्दन। पिंगल मन्द रौद्र यम नामा, वप्र आदि कोणस्थ ललामा। वक्र दृष्टि पिप्पल तन साजा, क्षण महं करत रंक क्षण राजा। ललत स्वर्ण पद करत निहाला, हरहुं विपत्ति छाया के लाला। श्री राहु स्तुति जय जय राहु गगन प्रविसइया, तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया। रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा, शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा। सैहिंकेय तुम निशाचर राजा, अर्धकाय जग राखहु लाजा। यदि ग्रह समय पाय हिं आवहु, सदा शान्ति और सुख उपजावहु। श्री केतु स्तुति जय श्री केतु कठिन दुखहारी, करहु सुजन हित मंगलकारी। ध्वजयुत रुण्ड रूप विकराला, घोर रौद्रतन अघमन काला। शिखी तारिका ग्रह बलवान, महा प्रताप न तेज ठिकाना। वाहन मीन महा शुभकारी, दीजै शान्ति दया उर धारी। नवग्रह शांति फल तीरथराज प्रयाग सुपासा, बसै राम के सुन्दर दासा। ककरा ग्रामहिं पुरे-तिवारी, दुर्वासाश्रम जन दुख हारी। नवग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु, जन तन कष्ट उतारण सेतू। जो नित पाठ करै चित लावै, सब सुख भोगि परम पद पावै।। दोहा धन्य नवग्रह देव प्रभु, महिमा अगम अपार। चित नव मंगल मोद गृह जगत जनन सुखद्वार।। यह चालीसा नवोग्रह, विरचित सुन्दरदास। पढ़त प्रेम सुत बढ़त सुख, सर्वानन्द हुलास।। Stay Connected What is your reaction? INTERESTING 0 KNOWLEDGEABLE 0 Awesome 0 Considerable 0 improvement 0 Astologer cum Vastu vid Harshraj SolankiJivansar.com is a website founded by Mr. Harshraj Solanki the main aim of the astrological website is to aware people about genuine astrological knowledge and avoid misconception regarding astrology and spirituality.By his genuine practical and Scientific knowledge of astrology,people gets benefit and appreciate his work very much as well as his website for analysing any Kundli very scientifically and gives powerful remedies. His predictions are very real deep observed and always try to give traditional scientific remedies which is based on Biz Mantra,Tantrik totka Pujas,Yoga Sadhana,Rudraksha and Gems therapy. Website Facebook