Chalisa Sangrah चालीसा संग्रह Sri Durga Chalisa~श्री दुर्गा चालीसा 254 views0 Share || श्री दुर्गा चालीसा || नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो अंबे दुख हरनी ।। निरंकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूं लोक फैली उजियारी ।। शशि ललाट मुख महाविशाला । नेत्र लाल भृकुटि विकराला ।।रूप मातु को अधिक सुहावे । दरश करत जन अधिक सुख पावे ।।तुम संसार शक्ति लै कीना । पालन हेतु अन्न धन दीना ।।अन्नपूर्णा हुई जग पाला । तुम ही आदि सुंदरी बाला ।।प्रलयकाल सब नाशन हारी । तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ।।शिव योगी तुम्हरे गुण गावें । ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ।।रूप सरस्वती को तुम धारा । दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ।।धरयो रुप नरसिंह को अंबा । परगट भई फाड़कर खंबा ।।रक्षा करि प्रह्लाद बचायो । हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ।।लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं । श्री नारायण अंग समाहीं ।।क्षीरसिंधु में करत विलासा । दयासिंधु दीजै मन आसा ।।हिंगलाज में तुम्हीं भवानी । महिमा अमित न जात बखानी ।।मातंगी धूमावति माता । भुवनेश्वरि बगला सुख दाता ।।श्री भैरव तारा जग तारिणि । छिन्नभाल भव दुख निवारिणि ।।केहरि वाहन सोह भवानी । लांगुर वीर चलत अगवानी ।।कर में खप्पर खड्ग विराजै । जाको देख काल डर भाजै ।।सोहै अस्त्र और त्रिशूला । जाते उठत शत्रु हिय शूला ।।नगरकोट में तुम्हीं विराजत । तिहूं लोक में डंका बाजत ।।शुंभ निशुंभ दनुज तुम मारे । रक्तबीज शंखन संहारे ।।महिषासुर नृप अति अभिमानी । जेहि अघ भार मही अकुलानी ।।रूप कराल कालिका धारा । सेन सहित तुम तिहि संहारा ।।परी गाढ़ संतन जब जब । भई सहाय मातु तुम तब तब ।।अमरपुरी अरु बासव लोका । तब महिमा सब रहे अशोका ।।ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी । तुम्हें सदा पूजे नर – नारी ।।प्रेम भक्ति से जो यश गावें । दुख दारिद्र निकट नहिं आवें ।।ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई । जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई ।।जोगी सुर मुनि कहत पुकारी । योग ना हो बिन शक्ति तुम्हारी ।।शंकर आचारज तप कीनो । काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ।।निशिदिन ध्यान धरो शंकर को । काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ।।शक्ति रुप का मरम न पायो । शक्ति गई तब मन पछितायो ।।शरणागत हुइ कीर्ति बखानी । जय जय जय जगदंब भवानी ।।भई प्रसन्न आदि जगदंबा । दई शक्ति नहिं कीन विलंबा ।।मोको मातु कष्ट अति घेरो । तुम बिन कौन हरै दुख मेरो ।।आशा तृष्णा निपट सतावें । मोह मदादिक सब बिनशावें ।।शत्रु नाश कीजै महरानी । सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ।।करो कृपा हे मातु दयाला । ऋद्धि – सिद्धि दै करहु निहाला ।।जब लगि जिऊँ दया फल पाऊं । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ।।दुर्गा चालीसा जो गावै । सब सुख भोग परम पद पावै ।।देवीदास शरण निज जानी । करहु कृपा जगदंब भवानी ।। न तातो न माता न बंधुर्न न दातान पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्त्ता ।न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैवगतिस्त्वं गतिस्तवं त्वमेका भवानि ।। Stay Connected What is your reaction? INTERESTING 0 KNOWLEDGEABLE 0 Awesome 0 Considerable 0 improvement 0 Astologer cum Vastu vid Harshraj SolankiJivansar.com is a website founded by Mr. Harshraj Solanki the main aim of the astrological website is to aware people about genuine astrological knowledge and avoid misconception regarding astrology and spirituality.By his genuine practical and Scientific knowledge of astrology,people gets benefit and appreciate his work very much as well as his website for analysing any Kundli very scientifically and gives powerful remedies. His predictions are very real deep observed and always try to give traditional scientific remedies which is based on Biz Mantra,Tantrik totka Pujas,Yoga Sadhana,Rudraksha and Gems therapy. Website Facebook