मंगल स्वभाव से एक उग्र ग्रह है। मंगल मेष और वृश्चिक राशि पर स्वामी ग्रह है और यह मकर राशि में उच्च का होता है। उच्च का मंगल शारीरिक एवं मानसिक ऊर्जा, इच्छा-शक्ति, आत्मविश्वास, आत्म-नियंत्रण और साहस का प्रतिनिधित्व करता है। अगर जातक की कुंडली में उच्च का मंगल,स्वराशि का मंगल स्थित है तो यह सारे गुण उसमें जन्मजात होते है।पीड़ित मंगल जातक को अनावश्यक क्रोधी और जिद्दी बनाता है। यह विनाश का भी प्रतिनिधित्व करता है और पीड़ित मंगल जातक के शारीरिक एवं मानसिक ऊर्जा में असंतुलन पैदा करता है।हम अपने गुस्से को कैसे व्यक्त करते हैं इसका कारक भी मंगल है।मजबूत मंगल जातक को दृढ़ मानसिकता के साथ-साथ गुस्सैल स्वभाव का भी बनता है। किसी भी ग्रह का अच्छा या बुरा प्रभाव उसके स्थान एवं अवस्थित राशि के ऊपर निर्भर करता है।
दूसरी ओर राहु एक छाया ग्रह है। राहु के पास बुध की प्रकृति है। इसे मिथुन और कन्या राशि के स्वामित्व के रूप में देखा जा सकता है अगर राहु मिथुन राशि में स्थित हो तो यह जातक को बहुत चतुर और काबिल बनाने के साथ-साथ गहरी सोच की क्षमता भी प्रदान करता है,मिथुन राशि राहु का उच्च राशि माना जाता है।बुध की तरह राहु में भी मानसिक अक्षमता असीम होती है लेकिन जहां बुध सहज भाव एवं व्यापारिक बुद्धि रखता है वही राहु गहरा अंत:प्रेरण एवं छलावा से युक्त राजनीतिक बुद्धि जातक को प्रदान करता है.राहु में गणनात्मक, सूचनात्मक, भेदभावपूर्ण बुद्धि अधिक होता है। यही कारण है कि जब राहु प्रभावित जातक अपने उच्च सिद्धांत के माध्यम से काम करता है, वास्तविक ज्ञान और भ्रम के के बीच अंतर को देखने की क्षमता बुध प्रभावित जातक में अधिक होती है. पीड़ित चंद्रमा पिक्चर राहु के साथ पीड़ित चंद्रमा ही भ्रम पूर्ण मति प्रदान करता है,ऐसे जातक अक्षर निर्णय लेने के बाद पछताते हैं।
कुंडली में किसी भी घर में राहु और मंगल की युति होने पर अंगारक योग बनता है। अलग-अलग घर और अलग-अलग राशियों के अनुसार अंगारक योग शुभ और अशुभ दोनों होते हैं।यह युति प्रचुर मात्रा में मानसिक या शारीरिक ऊर्जा का उत्पादन करता है ऐसे जातक में ऊर्जा की कभी कमी नहीं होती हैं।जब मंगल और राहु को एक साथ जोड़ा जाता है तो जबरदस्त ऊर्जा उत्पन्न होती है। पीड़ित अवस्था में जातक अवैध और आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो सकता है। यह ग्रह अशुभ स्थानों के अनुसार इसके नकारात्मक पहलू जैसे लगातार और अनावश्यक क्रोध, आक्रामकता एवं संवेदनशीलता की कमी लाती है। ऐसा होने की संभावना अधिक होती है जब यह युति मेष, वृष, सिंह, वृश्चिक और मकर जैसे राशियों में होता है। अपने सकारात्मक पहलुओं स्थितियों में, यह अन्याय, बहादुर योद्धा, समाज के लिए लाभ, उच्च स्तर के देशभक्ति एवं अन्याय के खिलाफ खड़े होने की ताकत देता है। अंगारक योग कितनी तीव्रता से शुभ या अशुभ प्रभाव देती है यह कुंडली के गहन विश्लेषण से ही पता चलेगा क्योंकि विभिन्न राशियों एवं विभिन्न भाव के अनुसार इसका प्रभाव अच्छा या बुरा होता है। फिर भी, मैं यहां ज्ञान के उद्देश्य के लिए कुछ विशेष भाव में युति की चर्चा करूंगा।
यदि पहले भाव मंगल और राहु की युति होती है तो इससे जातक का स्वभाव चिड़चिड़ा आक्रमक और थोड़ा अड़ियल होता है। झगड़ालू एवं बिना सोचे समझे निर्णय लेने की आदत होती हैवह / वह झगड़ालू हो सकती है और बिना ज्यादा तुरंत प्रतिक्रिया दे सकती है। विचार करें। जातक के दिलों-दिमाग में एक अजीब-सा अनावश्यक डर बना रहता है।
जब यह योग 6 वें भाव में बने तो जातक को दुश्मन और विरोधियों द्वारा कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कोर्ट केस भी परेशानी पैदा कर सकती हैं। इस युति के कारण, जातक साहसी,पौरुषपूर्ण और एक अच्छा प्रतियोगी भी होता हैं।
यदि यह युति चतुर्थ भाव में हो तो संपत्ति एवं इससे इससे संबंधित चीजों में लाभ देता है तथा गहरी मनोवैज्ञानिक दृष्टि भी प्रदान करता है लेकिन चतुर्थ भाव माता का कारक है इसलिए माता से संबंधित मामलों में परेशानी देता है।माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा।जातक को खुद मानसिक अशांति बनी रहेगी।
यदि सातवें भाव में हो यह योग बनती है तो यह विवाहित जीवन के लिए अच्छा नहीं माना जाता है विवाह संबंधी परेशानियां कुछ न कुछ बनी रहेगी यह मांगलिकता को भी बढ़ाता है एवं साथ में राहु की युति से उसमें और आग में घी डालने का काम करता है। जातक तुनक मिजाजी एवं हिंसक प्रवृत्ति वाला होगा।यदि यह योग किसी महिला की कुंडली में बनता है, तो उसका दांपत्य जीवन खराब हो जाता है। मंगल ग्रह महिलाओं की कुंडली में पति सुख और सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यदि सातवां भाव मंगल एवं राहु से पीड़ित है, तो महिला के विवाहित जीवन को खुशहाल और स्थिर बनाए रखने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
जिस जातक को अंगारक दोष है उनके जीवन में एक न एक बार उनकी सर्जरी की नौबत जरूर आती है एवं आज बिजली से संबंधित दुर्घटना घट सकती है।अंगारक दोष होने के कारण राहु और मंगल के युति से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओ जैसे एसिडिटी, हाई ब्लड प्रेशर, कमजोर मांसपेशियों से संबंधित समस्या, रक्त से जुड़ी समस्याएं (क्योंकि 'मंगल' ग्रह रक्त का प्रतिनिधित्व करता हैं)होती है।महिला जातक की कुंडली में मंगल का बहुत महत्त्व है इसलिए मंगल का विश्लेषण कुंडली में बहुत ही गहरे अनुभवी ज्योतिष द्वारा करवा लेना चाहिए। लाल किताब एक अद्भुत ज्योतिषीय ग्रंथ है जिसमें राहु और मंगल के प्रभावशाली उपाय के बारे विशेष रूप से वर्णित है। हालांकि, अंगारक योग दोष कम करने के उपाय जो मेरे अनुभव मैं हैं-
(हाथ में जल लेकर विनियोग कर ले फिर उस जल को भूमि पर छोड़ दें फिर आगे का दिया हुआ स्त्रोत का पाठ करें)
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