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पितृ दोष विश्लेषण

पितृ शब्द का पर्याय पिता और पूर्वजों से है। वैदिक शास्त्र के अनुसार जो श्राद्ध नहीं करता है और पूर्वजों के मृत्यु पर दान पुण्य नहीं करता है इसलिए जातक के पूर्वजों के असंतुष्ट और अतृप्त होने के कारण जातक को पितृदोष नाम का योग के साथ इस पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ता है। पूर्वजों द्वारा किए गए बुरे कर्म पितृ दोष के रूप में भी भावी पीढ़ी के जातक भोगना होता है.प्राचीन ज्योतिष के अनुसार पितृ दोष का निर्माण कुंडली में कुछ ग्रहों की विशेष स्थिति से बनता है। सामान्य ग्रह स्थिति जो विभिन्न प्रकार के पितृ दोष का निर्माण करती है, इस प्रकार है-


इसके प्रभावों को कम करने के लिए उचित उपचार की आवश्यकता होती है -


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