रत्न
वैदिक ज्योतिष में रत्न का विशेष महत्व है। ज्योतिष में सभी रत्न महत्वपूर्ण हैं क्योंकि सभी रत्न किसी विशेष ग्रहों से संबंधित हैं। यह जातक की कुंडली पर निर्भर करता है कि कौन-सा रत्न जातक के लिए आवश्यक है। सभी रत्न अपने रासायनिक गुणों द्वारा अपना विशेष महत्व रखते हैं।जातक की जन्मपत्रिका के लग्न के ग्रह से संबंधित रत्न जीवन-रत्न कहलाता हैं जिसको धारण करने से उस ग्रह से संबंधित बुरे प्रभाव को कम कर लग्न एवं कुंडली को अतिरिक्त बल प्रदान किया जाता है|जन्म पत्रिका के अनुसार प्रभावित ग्रह के रत्न धारण करने से नकारात्मक विकिरण और संबंधित ग्रह के प्रतिकूल प्रभाव को अवशोषित कर रत्न पहनने वाले जातक की सकारत्मक उर्जा एवं क्षमता में वृद्धि करता है|यह तो अनुभव सिद्ध है की जो लोग अपनी जन्मकुंडली के अनुसार रत्न धारण कर रहे हैं उन्हें जीवन के हर पहलू में लाभ मिल रहा है चाहे वह व्यवसाय हो, शिक्षा से सम्बंधित हो या वे किसी बीमारी से ग्रसित हो रत्न के गुणवत्ता के अनुसार लाभ तो उन्हें कमोबेश जरूर हुआ है|
वैदिक ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रह नौ विशेष रत्न का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे कि माणिक रत्न सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है। चंद्रमा के लिए मोती, मंगल के लिए मूंगा, बुध के लिए पन्ना, बृहस्पति के लिए पीला पुखराज,शनि के लिए नीलम,शुक्र के लिए हीरा, राहु के लिए गोमेद (हेसोनाइट) और केतु के लिए लहसुनिया|रत्न पहनने से पहले यह अवश्य ही जान लेना चाहिए कि कौन-सा रत्न उस जातक विशेष के जन्म पत्रिका के अनुसार अनुकूल होकर संबंधित ग्रहों के बल एवं शुभता में वृद्धि करता है नहीं तो लाभ के बजाय हानि भी उठानी पड़ सकती है क्योंकि जो लाभ दे सकता है वह हानि भी तो दे सकता है| जनसाधारण में रत्नों के बारे में गजब की भ्रांतियां फैली हुई है,जैसे-विवाह ना हो रहा हो तो पुखराज पहन लेना चाहिए,ज्यादा गुस्सा आये ,तनाव ग्रसित हो या दिमाग शांत ना हो तो मोती पहन लेना चाहिए,मांगलिक हो तो मूंगा धारण करना चाहिए इत्यादि| इस प्रकार के अल्प ज्ञान एवं भ्रांति का शिकार होकर ऊपर वर्णित परिस्थितियों के अनुसार अगर कोई जातक रत्न धारण करता हैं तो लाभ के बजाय अधिक हानि ही उठानी पड़ेगी क्योंकि मोती (डिप्रेशन) अवसाद भी दे सकता है, मूंगा से रक्तचाप में गड़बड़ी आ सकती है, पुखराज धारण से पेट से संबंधित रोग को बढ़ा सकता है या वैवाहिक जीवन में अस्त-व्यस्ता ला सकता है|खुद अज्ञानता एवं भ्रांति के कारण हानि उठाने के बाद सीधे रत्न शास्त्र एवं इसके प्रयोगों को ही ढकोसला,अंधविश्वास और न जाने क्या क्या बताकर एक सिरे से नकार देते हैं| अतः जिज्ञासु जातकों से मेरा परामर्श है कि किसी भी रत्न को धारण करने से पहले अपने कुंडली का सूक्ष्म विवेचन,निरीक्षण करवाकर ही रत्न धारण करें|तभी जातकगण रत्न धारण करने से पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकेंगे|
जो जातक रत्न धारण करने में असमर्थ है वह उनकी जगह उपरत्न को भी धारण कर सकते हैं लेकिन उपरत्न सस्ते होने के साथ-साथ कम प्रभावी भी होते हैं। मुख्य रत्न लंबे समय तक अपने प्रभाव को बनाए रखता है और रत्न की जगह उपरत्न कम समय के लिए प्रभावित होता है|
ग्रहों एवं उसके उपरत्नोंका वर्णन निम्नलिखित है -
सूर्य -
माणिक सूर्य के लिए पहना जाने वाला सबसे महंगा रत्न है।माणिक रत्न का रासायनिक संरचना अल्मुनियम ऑक्साइड(Al 2 O 3 )होता है| तमदी, ललदी, तुरमली और गार्नेट माणिक का उपरत्न है।माणिक पहनने से आंख की खराबी, हड्डी, सिरदर्द, अपच, बुखार आदि की समस्या कम होती है।यह अनामिका अंगुली में तांबे या सोने में रविवार के दिन पहनना लाभकारी होता है।
चन्द्रमा -
चंद्र ग्रह के लिए मोती मुख्य रत्न होता है। यह मुख्यता: कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO 3)का बना होता है|यह रत्न रक्त दिल और दिमाग पर प्रभाव डालता है। यह रत्न मानसिक शक्ति को बढ़ा कर आत्मविश्वास में बढ़ोतरी करता है|मून स्टोन मोती का उपरत्न है। मोती को चांदी में छोटी उंगली में पहनना चाहिए।इसे शुक्ल पक्ष में विधिवत धारण करना चाहिए|
मंगल -
मूंगा मंगल ग्रह का मुख्य रत्न है।मूंगा समुद्र में लगभग 700 फीट नीचे चट्टानों पर आईसिस नोबाइल्स नाम के समुंद्री जीव द्वारा बनाया उसका निवास स्थान होता है इसे ही मूंगे का पौधा मान लिया था लेकिन वास्तव में यह पौधा नहीं होता है|मूंगा समुद्र के जितनी गहराई में होगा इसका रंग उतना ही हल्का होगा एवं अगर इसकी गहराई कम होगी तो मूंगे का रंग भी गहरा होगा| इसका मुख्यता: रासायनिक संरचना कैलशियम कार्बोनेट(CaCO 3 ) का बना होता है| यह रत्न एनीमिया, सामान्य दुर्बलता, कमजोरी, शरीर में चोट, सूजन, खांसी और जुकाम जैसी बीमारियों को ठीक करने में सबसे प्रभावी होता है। यह रत्न रक्त पर शासन करता है। इस रत्न के प्रयोग से रक्त संबंधी कई रोग ठीक किए जाते हैं।इस रत्न को अनामिका में पीतल या सोने में धारण करना प्रभावी होता है।
बुध -
पन्ना हरे रंग का एक कीमती रत्न है। इसे बुध ग्रह के मुख्य रत्न से भी जाना जाता है। इसमें क्रोमिक ऑक्साइड (Cr 2 O 3 )होने के कारण यह हरे रंग का होता है| इसे बुध ग्रह के लिए पहना जाता है और इसे पहनने वाले को नर्वस सिस्टम और आंतों के हिस्से, किडनी, टिश्यूज को परफेक्ट कंट्रोल करने में सक्षम बनाता है। पन्ना रत्न को विशेष रूप से व्यवसायी, लेखक और कमजोर बुद्धि वाले छात्र के लिए अनुशंसित किया जाता है। ग्रीन बैरुज, वनएक्स, मार्गज आदि एमराल्ड के विकल्प के रूप में पहना जा सकता है। इसे छोटी उंगली में चांदी में बुधवार को पहनना चाहिए।
बृहस्पति -
पीला पुखराज बृहस्पति ग्रह का एक महंगा रत्न है।पीला पुखराज में अल्मुनियम और फ्लोरीन सहित सिलिकेट खनिज का मिश्रण होता है इसका रसायनिक सूत्र Al2SiO4(F,OH)2 होता है |इस रत्न को पहनने वाले में आत्मविश्वास, निर्णय लेने, क्षमता, धार्मिकता, पवित्रता और विवेक को बढ़ाता है। पीला पुखराज आध्यात्मिक प्रेरणा, योग,ध्यान और धार्मिक उपदेश के लिए भी सबसे अच्छा माना जाता है। पीला पुखराज बृहस्पति का मुख्य रत्न है। टोपाज,पीला बैरुज, सुनहला आदि पीले पुखराज के विकल्प के रूप में धारण किया जाता है। इसे तर्जनी उंगली में शुक्ल पक्ष को गुरुवार के दिन पीतल या सोने में पहनना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
शुक्र -
हीरा प्राक्रतिक पदार्थो में सबसे कठोर पदार्थ है इसकी कठोरता के कारण इसका प्रयोग कई उद्योगो तथा आभूषणों में किया जाता है और यही वह गुण है जो इसे एक वांछनीय रत्न बनाता है।दशकों प्रयोग के बाद भी हीरे की अंगूठी में खरोंच नहीं आता है , आम तौर पर यह सफेद रंग का होता है लेकिन अशुद्धियों के कारण यह नीला,लाल,पीला,हरा और काला रंगों में उपलब्ध है। इसे शुक्र के लिए पहना जाता है।हीरा पहनने वाला जातक वित्तीय समृद्धि,मन प्रफुलित और अच्छा अनुभव करता है। यह रत्नों में सबसे आकर्षक और भर्किला रत्न है। जरकन, अमेरिकन डायमंड और ओपल हीरे के विकल्प के रूप में पहना जाता है।इस रत्न को अनामिका अंगुली में चांदी में शुक्रवार को पहनना लाभदायक होता है।
शनि -
नीलम शनि ग्रह का मुख्य रत्न है।यह रत्न अल्मुनियम ऑक्साइड (Al 2 O 3 )खनिज की श्रेणी में आता है| नीली, नीला टोपाज,लाजवर्त, सॉडलाइट नीलम के विकल्प के रूप में धारण किया जा सकता हैं। मध्यमा उंगली में लोहे की अंगूठी के साथ चांदी में पहनना प्रभावी एवं लाभकारी होता है,लेकिन शनि के इस रत्न नीलम को बड़ी सावधानी के साथ अच्छे ज्योतिष से अपनी कुंडली का संपूर्ण विश्लेषण करवा कर ही इस रत्न को धारण करना चाहिए तभी लाभ मिलेगा नहीं तो दुर्घटनाओं, स्वास्थ्य समस्या और पदच्युत जैसी हानि होने की पूर्ण संभावना होती है|
राहु -
प्रमुख छाया ग्रह राहु का रत्न गोमेद (हेसोनाइट ग्रेनाइट) है।इस रत्न का रंग गाय के मूत्र की तरह होता है|गोमेद का रासायनिक संरचना कैल्शियम एल्यूमीनियम सिलिकेट (Ca3 Al 2 {SiO4}3) होता है।राहु के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए इसको धारण किया जाता है।जन्म पत्रिका के अनुसार राहु की महादशा में इस रत्न को अवश्य धारण करना चाहिए जिससे राहु संबंधी विभिन्न सकारात्मक फलों को प्राप्त किया जा सके| गोमेद धारण करने से गैस्ट्रिक और अम्लता जैसे विकारों से राहत मिलती है| इसे धारण करने वाले जातक मानसिक एकाग्रता का अनुभव करता हैं। यह जीवन में आने वाले बाधा को कम करने और अदालती मामलों को जीतने में मदद करता है।राहु जिस ग्रह के राशि में हो उस ग्रह वाले दिन को एवं उसी ग्रह के अनुसार वाली उंगली में इसे धारण करना चाहिए|
केतु -
जिन जातक की कुंडली में केतु बुरे प्रभाव दे रहा हो उन्हें केतु का रत्न लहसुनिया धारण करना चाहिए| लहसुनिया रत्न का रासायनिक संरचना बेरिलियम एल्यूमीनियम ऑक्साइड (Al2) (BeO4) होता है|इस रत्न के बीच में परावर्तित प्रकाश बिल्ली की आंख की तरह दिखता है यही कारण है कि इसका अंग्रेजी नाम कैट्स आई (बिल्ली की आंख)है। केतु को आत्मा का उद्धारक, मोक्ष का कारक ग्रह के रूप में जाना जाता है|अतः इसे धारण करने से मानसिक एवं आत्मिक क्षमता को अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है जिससे व्यक्ति के आध्यात्मिक उन्नति करने में विशेष लाभदायक होता है|